एक स्त्री निकली है राह से; वह सिर्फ है। सुंदर और असुंदर देखने वाले की व्याख्या है।
एक स्त्री निकली है राह से;
वह सिर्फ है। सुंदर और असुंदर
देखने वाले की व्याख्या है।
सुंदर-असुंदर उसमें कुछ भी नहीं है।
व्याख्याएं बदलती हैं,
तो सौंदर्य बदल जाते हैं।
चीन में चपटी नाक सुंदर हो सकती है,
भारत में नहीं हो सकती।
चीन में उठे हुए गाल की हड्डियां सुंदर हैं,
भारत में नहीं हैं।
अफ्रीका में चौड़े ओंठ सुंदर हैं और
स्त्रियां पत्थर लटकाकर
अपने ओंठों को चौड़ा करती हैं।
सारी दुनिया में कहीं चौड़े ओंठ सुंदर नहीं हैं,
पतले ओंठ सुंदर हैं। वे हमारी व्याख्याएं हैं,
वे हमारी सांस्कृतिक व्याख्याएं हैं।
एक समाज ने क्या व्याख्या पकड़ी है,
इस पर निर्भर करता है।
फिर फैशन बदल जाते हैं,
सौंदर्य बदल जाता है।
तथ्य वही के वही रहते हैं।
अफ्रीका में जो स्त्री पागल
कर सकती है पुरुषों को,
वही भारत में सिर्फ पागलों
को आकर्षित कर सकती है।
क्या हो गया! स्त्री वही है, तथ्य वही है,
लेकिन व्याख्या करने वाले दूसरे हैं।
जब हम कहते हैं, सुंदर है,
तभी हम सम्मिलित हो गए,
तभी तथ्य नहीं रहा।
बुद्ध एक वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहे हैं।
रात है पूर्णिमा की। गांव से कुछ
मनचले युवक एक वेश्या को लेकर
पूर्णिमा की रात मनाने आ गए हैं।
उन्होंने वेश्या को नग्न कर लिया है,
उसके वस्त्र छीन लिए हैं।
वे सब शराब में मदहोश हो गए हैं,
वे सब नाच-कूद रहे हैं।
उनको बेहोश हुआ
देखकर वेश्या भाग निकली।
थोड़ा होश आया, तो देखा,
जिसके लिए नाचते थे, वह बीच में नहीं है।
खोजने निकले। जंगल है, किससे पूछें?
आधी रात है। फिर उस वृक्ष के पास आए,
जहां बुद्ध बैठे हैं। तो उन्होंने कहा,
यह भिक्षु यहां बैठा है,
यही तो रास्ता है एक जाने का।
अभी तक कोई दोराहा भी नहीं आया।
वह स्त्री जरूर यहीं से गुजरी होगी।
तो उन्होंने बुद्ध को कहा कि सुनो भिक्षु,
यहां से कोई एक नग्न सुंदर युवती
भागती हुई निकली है? देखी है?
बुद्ध ने कहा, कोई निकला जरूर,
लेकिन युवती थी या युवक,
कहना मुश्किल है।
क्योंकि व्याख्या करने
की मेरी कोई इच्छा नहीं।
कोई निकला है जरूर,
सुंदर था या असुंदर, कहना मुश्किल है।
क्योंकि जब अपनी चाह न रही,
तो किसे सुंदर कहें, किसे असुंदर कहें!
सौंदर्य चुनाव है, सौंदर्य निर्णय है।
असल में जैसे ही सुंदर कहा,
मन के किसी कोने पर बनना
शुरू हो गया भाव–कि मिले।
सौंदर्य पसंदगी की शुरुआत है।
वह वक्तव्य सिर्फ तथ्य का नहीं,
वह वक्तव्य वासना का है।
वासना छा गई है तथ्य पर;
वह कहती है, सुंदर है।