नानक के गीत की गूंज – ओशो वाणी| Osho Vaani
आदि सचु जुगादि सचु, एक अंधेरी रात। भादों की अमावस। बादलों की गड़गड़ाहट। बीच में बिजली का चमकना। वर्षा के झोंके। गांव पूरा सोया हुआ। बस, नानक के गीत की गूंज। रात देर तक वे गाते रहे। नानक की मां डरी। आधी रात से ज्यादा बीत गई। कोई तीन बजने ... Read More »